“हमें अपनी संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों को जीवित रखना चाहिए, अपनी आध्यात्मिकता और विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना चाहिए, साथ ही प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणालियों का निरंतर आधुनिकीकरण करना चाहिए।”
~प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
परिचय
पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक यात्रा रंगोली की तरह निखरी है: रंग-बिरंगी, परंपराओं से जुड़ी और दुनिया के लिए खुली। हम्पी के कालातीत मंदिरों से लेकर शास्त्रीय संगीत और नृत्य की जीवंत परंपराओं तक, सरकार ने मूर्त और अमूर्त दोनों तरह की विरासत को नई ऊर्जा दी है। भूले-बिसरे नायकों को याद किया गया है और आधुनिक साधनों के माध्यम से प्राचीन ज्ञान को संरक्षित किया गया है। ये सभी प्रयास मिलकर भारत की भावना को गर्व के साथ दुनिया तक पहुंचाते हैं।
भारत का सांस्कृतिक पुनर्जन्म
भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर अयोध्या में राम लला की दिव्य उपस्थिति तक, सरकार विरासत को संरक्षित कर रही है और सांस्कृतिक जड़ों को गहरा कर रही है। आध्यात्मिक सर्किट और आधुनिक तीर्थ सुविधाओं के माध्यम से, भारत के सभ्यतागत गौरव को निर्बाध रूप से पुनर्जीवित किया जा रहा है।
1. मंदिर गलियारों और तीर्थ स्थलों का पुनर्विकास
प्रोजेक्ट/साइट | की गई पहल |
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उत्तर प्रदेश | काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना ने वाराणसी के प्राचीन घाटों, संकरी गलियों और मंदिर तक पहुंच मार्ग को बदलकर इसे पुनर्जीवित कर दिया है।
. |
महाकाल लोक परियोजना उज्जैन, मध्य प्रदेश | महाकाल लोक परियोजना को विश्वस्तरीय सुविधाएं और आध्यात्मिक माहौल प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था, जिससे श्रद्धेय महाकालेश्वर मंदिर में तीर्थयात्रियों का अनुभव समृद्ध हो सके। |
माँ कामाख्या मंदिर, असम | मां कामाख्या मंदिर के विकास में बुनियादी ढांचे और तीर्थयात्री सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे अधिक बेहतर सुविधाएं, आरामदायक और सुलभ आध्यात्मिक अनुभव सुनिश्चित हुआ।
. |
राम मंदिर, अयोध्या | राम मंदिर के लिए भूमिपूजन अगस्त 2020 में हुआ था; भव्य मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को किया गया। |
केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड | केदारनाथ के एकीकृत विकास में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना शामिल है, जो सभ्यतागत एकता का प्रतीक है और तीर्थ स्थल के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाती है
. |
जूना सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, सैरगाह और पार्वती मंदिर का विकास, गुजरात
|
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमनाथ मंदिर के आसपास विकास और पार्वती मंदिर के निर्माण सहित प्रमुख तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार करके अहिल्याबाई होल्कर की विरासत को आगे बढ़ाया है। साथ ही, तीर्थयात्रियों को अरब सागर के सामने सोमनाथ मंदिर का शानदार दृश्य दिखाने के लिए सैरगाह का विकास किया है।
|
2. तीर्थयात्रा संपर्क बढ़ाना
परियोजना | किया गया काम |
चार धाम राजमार्ग परियोजना | चारधाम परियोजना में चारधाम अर्थात यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाले 5 मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) का सुधार शामिल है, जिसमें कैलास-मानसरोवर यात्रा के टनकपुर से पिथौरागढ़ खंड भी शामिल है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 825 किलोमीटर है। जुलाई 2024 तक, कुल 825 किलोमीटर लंबाई में से 616 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है। |
हेमकुंड साहिब रोपवे | आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने उत्तराखंड में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। परियोजना की कुल लागत 2,730.13 करोड़ रुपये है। |
बौद्ध सर्किट |
• आंध्र प्रदेश (2017-18): शालिहुंडम, बाविकोंडा, बोज्जनकोंडा, अमरावती और अनूपु में कनेक्टिविटी और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 35.24 करोड़ रुपये का निवेश किया गया।
• गुजरात (2017-18): जूनागढ़, गिर सोमनाथ, भरूच, कच्छ, भावनगर, राजकोट और मेहसाणा में बौद्ध विरासत स्थलों को विकसित करने के लिए 26.68 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। • मध्य प्रदेश (2016-17): सांची, सतना, रीवा, मंदसौर और धार को कवर करने वाले बौद्ध सर्किट के एकीकृत विकास के लिए 74.02 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। |
करतारपुर साहिब कॉरिडोर
|
9 नवंबर, 2019 को करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया, जिससे भारतीय सिख तीर्थयात्री करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुंच सकेंगे। |
3. समावेशी विरासत विकास
प्रमुख विरासत गलियारों और प्रतिष्ठित स्थलों को विकसित करने के अलावा, सरकार धार्मिक विविधता को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपना रही है। प्रशाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान) जैसी योजनाओं के माध्यम से, विभिन्न धर्मों के प्रमुख पूजा स्थलों का कायाकल्प करने का प्रयास किया गया है; जिसमें मस्जिद, चर्च और तीर्थस्थल शामिल हैं, ताकि भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत का सम्मान और उत्सव सुनिश्चित किया जा सके। यह समावेशी विकास सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत करता है।
ये पहल स्मारकों को बहाल करने से कहीं आगे जाती हैं, वे समुदायों के पुनर्निर्माण और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने में मदद कर रही हैं। (पीआरएसएचएडी) प्रशाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान) योजना के तहत, देश भर में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थलों के विकास में लगभग 1,900 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
स्वदेश दर्शन योजना ने यात्रा के बुनियादी ढांचे को और बढ़ावा दिया है, जिसमें पहचाने गए विषयगत सर्किटों में 76 परियोजनाओं के लिए 5,292.91 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इस गति को आगे बढ़ाते हुए, स्वदेश दर्शन 2.0 ने 2023-25 की अवधि के लिए 34 और परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, हृदय (एचआरआईडीएवाई)(विरासत शहर विकास और संवर्धन योजना) योजना ने 12 विरासत शहरों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। साथ में, ये पहल भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर रही हैं और साथ ही देश भर में पर्यटन को बढ़ावा दे रही हैं।
इन प्रयासों का आर्थिक प्रभाव मूर्त है। 2024 में, भारत में 9.66 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया, जिससे 2,77,842 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आय हुई। ये संख्याएँ न केवल बढ़ती पर्यटन रुचि को दर्शाती हैं, बल्कि भारत के उन्नत बुनियादी ढाँचे और इसके नए सांस्कृतिक आकर्षण में बढ़ते विश्वास को भी दर्शाती हैं।
खोई हुई विरासत को वापस लाना
देश की खोई हुई विरासत को वापस लाना सरकार की प्राथमिकता रही है। 2013 से पहले, विदेश से भारत को केवल 13 चोरी की गई प्राचीन वस्तुएँ वापस की गई थीं। हालाँकि, 2014 से, 642 चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं का पता लगाया गया है और उन्हें देश में वापस लाने का कार्य विभिन्न चरणों में हैं।
2016 से, अमेरिकी सरकार ने तस्करी या चोरी की गई कई प्राचीन वस्तुओं की वापसी की सुविधा प्रदान की है। जून 2016 में पीएम की यूएसए यात्रा के दौरान 10 प्राचीन वस्तुएँ वापस की गईं; सितंबर 2021 में उनकी यात्रा के दौरान 157 प्राचीन वस्तुएँ और जून 2023 में उनकी यात्रा के दौरान 105 और प्राचीन वस्तुएँ वापस की गईं। 2016 से अमेरिका से भारत को वापस की गई सांस्कृतिक कलाकृतियों की कुल संख्या 578 है। यह किसी भी देश द्वारा भारत को वापस की गई सांस्कृतिक कलाकृतियों की अधिकतम संख्या है।
राष्ट्र निर्माताओं की एक विस्तृत श्रृंखला को मान्यता
सरकार ने भारत के सच्चे राष्ट्र-निर्माताओं को सम्मानित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनकी विरासत को राजनीतिक सीमाओं से परे संरक्षित किया जाय और माँ दिया जाए। इस दिशा में एक प्रमुख पहल आज़ादी का अमृत महोत्सव थी, जिसे 12 मार्च 2022 को लॉन्च किया गया और 15 अगस्त 2022 को भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इसका समापन हुआ। इस अभियान ने देश भर में आयोजित सांस्कृतिक और देशभक्ति कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्र को आकार देने वाले बलिदानों और उपलब्धियों को सम्मानित किया। इन प्रयासों के पूरक प्रतिष्ठित मूर्तियाँ, इमर्सिव म्यूज़ियम और स्मारक हैं जो लोगों की यादों को फिर से जगाते हैं और आने वाली पीढ़ियों में राष्ट्र-निर्माण की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं।
केंद्र सरकार ने कई राष्ट्र-निर्माताओं को मान्यता दी है, उनके योगदान को निष्पक्ष और राजनीतिक पूर्वाग्रहों से परे सम्मान दिया है।
विरासत का सम्मान, राष्ट्र का प्रदर्शन
भारत के नायकों की विरासत का सम्मान करने के लिए मोदी सरकार ने लंबे समय से लंबित स्मारकों को राष्ट्रीय गौरव के शक्तिशाली प्रतीकों में बदल दिया है। सैनिकों से लेकर राजनेताओं तक, हर प्रयास राष्ट्र की यात्रा को आकार देने वालों को याद करने की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्य विशेषताएं:
• प्रधानमंत्री संग्रहालय: प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन 14 अप्रैल, 2022 को किया गया। यह सभी भारतीय प्रधानमंत्रियों के जीवन और योगदान को गैर-पक्षपातपूर्ण तरीके से प्रदर्शित करता है।
• राष्ट्रीय युद्ध स्मारक: 1961 से लंबित, 2015 में स्वीकृत और शहीद सैनिकों के सम्मान में 2019 में उद्घाटन किया गया।
• राष्ट्रीय पुलिस स्मारक: 1994 में प्रस्तावित, 2014 में स्वीकृत और पुलिस कर्मियों के बलिदान को मान्यता देने के लिए 2018 में उद्घाटन किया गया।
जलियांवाला बाग स्मारक: जलियांवाला बाग स्मारक का उद्घाटन 13 अप्रैल, 2019 को किया गया था। यह दुखद नरसंहार के पीड़ितों के लिए एक शक्तिशाली श्रद्धांजलि है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम की भावना को जीवित रखता है।
• आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय: अक्सर भुला दिए जाने वाले आदिवासी नायकों की वीरता को उजागर करने के लिए 11 संग्रहालय विकसित किए जा रहे हैं।
• भारत मंडपम: भगवान बसवेश्वर के अनुभव मंडपम से प्रेरित, भारत मंडपम भारत की सांस्कृतिक ताकत और आधुनिक दृष्टि को प्रदर्शित करता है। 2023 में उद्घाटन किए जाने वाले इस मंडप में नटराज की दुनिया की सबसे ऊंची अष्टधातु प्रतिमा है, जो भारत के वैश्विक कद और सभ्यतागत लोकाचार का प्रतीक है।
• नया संसद भवन: 28 मई, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया। वास्तु सिद्धांतों के आधार पर त्रिकोणीय आकार में डिज़ाइन की गई इस इमारत में स्पीकर की कुर्सी के पास पवित्र सेंगोल स्थापित है, जो धार्मिक शासन का प्रतीक है। संविधान हॉल भारत की लोकतांत्रिक विरासत और ऐतिहासिक दस्तावेजों को दर्शाता है। राजस्थान के बलुआ पत्थर जैसी स्वदेशी सामग्रियों का उपयोग करके निर्मित, यह संरचना भारत की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है और इसमें सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और भूकंप-रोधी डिज़ाइन जैसी टिकाऊ सुविधाएँ शामिल हैं।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जोड़ना
सरकार ने भारत की विविध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच संबंधों को मजबूत किया है, जो वास्तव में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाता है। देश में राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों के बीच जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए 31 अक्टूबर, 2016 को प्रधान मंत्री द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य विविध संस्कृतियों के लोगों के बीच आपसी समझ और बंधन को बढ़ाना है, जिससे भारत की एकता और अखंडता को मजबूत किया जा सके।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं जो भारत की विविधता में एकता और आध्यात्मिक सद्भाव को प्रदर्शित करते हैं:
काशी तमिल संगमम:
- वाराणसी (2022 और 2023) में आयोजित केटीएस 1.0 और 2.0 ने काशी और तमिलनाडु के बीच सभ्यतागत संबंधों का उत्सव मनाया।
- 15 से 24 फरवरी, 2025 तक वाराणसी में आयोजित केटीएस 3.0 में तमिलनाडु और काशी के बीच गहरे सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों का उत्सव मनाया गया। इस कार्यक्रम में 869 से अधिक कलाकारों और 190 स्थानीय लोक और शास्त्रीय समूहों द्वारा जीवंत प्रदर्शन किए गए, जिसमें लगभग 2 लाख दर्शकों की उत्साही भीड़ जुटी।
पवित्र गुरुओं का सम्मान:
o गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व और गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के लिए भव्य समारोह।
वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन:
o भारत ने वैश्विक मंच पर बौद्ध धर्म के साथ अपने आध्यात्मिक और दार्शनिक बंधन की पुष्टि की।
o पीएम मोदी ने अष्टांगिक मार्ग की कालातीत प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, इसे वैश्विक कल्याण और सतत विकास के लिए मार्गदर्शक प्रकाश कहा।
महाकुंभ 2025
o महाकुंभ 2025 अब तक के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजनों में से एक बन गया। केवल एक महीने में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए, जो 45 दिनों में अपेक्षित 45 करोड़ को पार कर गया। इसने जातियों, धर्मों और संस्कृतियों में एकता को भी बढ़ावा दिया।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025
o वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 केंद्रीकृत डिजिटलीकरण और एक मजबूत ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता, जवाबदेही और शासन को बढ़ाता है।
वेव्स 2025: नवाचार और मीडिया के भविष्य को आकार देना
इन पहलों के अलावा, विश्व ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) वैश्विक मीडिया और मनोरंजन परिदृश्य को बदलने वाले एक ऐतिहासिक मंच के रूप में उभरा है। विश्व मंच पर भारत को प्रदर्शित करते हुए, वेव्स ने देश के सांस्कृतिक गौरव को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया है।
मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में दुनिया का पहला वैश्विक अभिसरण शिखर सम्मेलन विश्व ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट वेव्स 1 से 4 मई, 2025 तक मुंबई में आयोजित किया गया, इसका उद्घाटन प्रधान मंत्री द्वारा किया गया था।
शिखर सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और कुल मिलाकर 1 लाख से अधिक आगंतुक आए। 1,000 से अधिक वैश्विक और भारतीय एमएंडई कंपनियों ने भाग लिया। डब्ल्यूएवीईएस घोषणापत्र को 77 देशों ने अपनाया।
• 140 से अधिक सत्रों में 100 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया, जिसमें प्रमुख हस्तियों द्वारा 50 से अधिक मुख्य भाषणों वाले पूर्ण सत्र शामिल थे।
• डब्ल्यूएवीईएस बाज़ार ने 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापारिक सौदे और चर्चाएँ आयोजित कीं। महाराष्ट्र सरकार ने वेव्स 2025 में कुल 8,000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
• वेव्एक्स के तहत टियर 1 और टियर 2 शहरों के 30 एमएंडई स्टार्टअप ने अपने अनूठे विचारों को सीधे 45 बड़े निवेशकों के सामने रखा। 500 से अधिक स्टार्टअप ने अपनी गतिविधियों का प्रदर्शन किया।
• आईआईसीटी को विश्व स्तरीय संस्थान में बदलने के लिए एडोब, गूगल और एनवीडिया जैसे उद्योग के नेताओं के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
योग: आरोग्य के माध्यम से राष्ट्र को एकजुट करना
योग, एक प्राचीन भारतीय अभ्यास, शरीर, मन और आत्मा के सामंजस्य को बढ़ाने वाला एक वैश्विक आंदोलन बन गया है। 27 सितंबर, 2014 को, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आइडीवाई) के रूप में समर्पित करने का प्रस्ताव रखा।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की उपलब्धियाँ और वैश्विक उपलब्धियाँ
• पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को नई दिल्ली के राजपथ पर प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में मनाया गया।
• 35,985 प्रतिभागियों ने 84 देशों के प्रतिनिधियों के साथ 21 योग आसन किए, जिससे दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने।
• 2022 में, भारत भर में 75 विरासत और प्रतिष्ठित स्थलों पर योग का अभ्यास किया गया, जिससे स्वास्थ्य और सांस्कृतिक गौरव के मेल को बढ़ावा मिला।
• 2023 तक, भागीदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई और दुनिया भर में लगभग 23.4 करोड़ लोग अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में शामिल हुए।
• 2024 में उत्तर प्रदेश में 25.93 लाख लोगों ने ऑनलाइन योग की शपथ ली, जिससे एक नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। अक्षर योग केंद्र ने समारोह के दौरान पाँच गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए।
• अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 का विषय है “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग।”
आयुर्वेद का वैश्विक प्रभाव
आयुर्वेद भारत को समग्र स्वास्थ्य सेवा के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद कर रहा है। आयुष मंत्रालय की चैंपियन सेवा क्षेत्र योजना के माध्यम से, पारंपरिक प्रणालियों का उपयोग करके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। ये प्रयास आयुर्वेद की वैश्विक पहुँच का विस्तार कर रहे हैं और इसे आधुनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए एक विश्वसनीय, प्राचीन चिकित्सा विज्ञान के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं। मंत्रालय उन पहलों का नेतृत्व कर रहा है, जिन्होंने आयुर्वेद के पदचिह्न को दुनिया भर में महत्वपूर्ण रूप से विस्तारित किया है:
1. वैश्विक आउटरीच और सहयोग: मंत्रालय ने सहयोगी अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 24 देश-स्तरीय और 48 संस्थान-स्तरीय समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर 15 अकादमिक चेयर स्थापित की गई हैं। आयुष सूचना प्रकोष्ठ 35 देशों में 39 स्थानों पर काम करते हैं और ज्ञान केंद्र के रूप में काम करते हैं।
2. रणनीतिक समझौते: मील के पत्थर के रूप में डब्ल्यूएचओ के साथ दाता समझौता, वियतनाम के साथ औषधीय पौधों के सहयोग पर समझौता ज्ञापन और मलेशिया और मॉरीशस के साथ आयुर्वेद पर ऐतिहासिक समझौता शामिल है। ये साझेदारियाँ सभी के लिए समग्र स्वास्थ्य के भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती हैं।
3. मान्यता और संस्थागत समर्थन: जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना और इस वर्ष डब्ल्यूएचओ द्वारा आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा को शामिल किया जाना आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता में एक महत्वपूर्ण कदम है।
4. आयुष वीज़ा और हील इन इंडिया: आयुष वीज़ा जैसी पहल चिकित्सा पर्यटन को सुविधाजनक बना रही है, जिससे भारत समग्र उपचार के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन रहा है।
29 अक्टूबर, 2024 को 150 देशों में मनाए जाने वाले 9वें आयुर्वेद दिवस की सफलता आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक स्वीकृति को और दर्शाती है।
यूनेस्को: विरासत के मील के पत्थर
पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने विश्व विरासत सूची में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है। जुलाई 2024 में, असम से सांस्कृतिक संपत्ति के रूप में “मोइदम्स: अहोम राजवंश की टीले-दफ़नाने की प्रणाली” के शिलालेख के साथ एक गौरवपूर्ण वृद्धि की गई। इसके साथ, भारत में अब विश्व विरासत सूची में 43 स्थल और यूनेस्को की संभावित सूची में 62 और स्थल हैं। देश की यात्रा 1983 में आगरा किले की सूची के साथ शुरू हुई, उसके बाद ताजमहल, अजंता की गुफाएँ और एलोरा की गुफाएँ। इन स्थलों को न केवल इतिहास के प्रतीक के रूप में, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सीखने की जगह के रूप में भी संरक्षित किया जाता है।
निष्कर्ष
पिछले 11 सालों में भारत ने अपनी संस्कृति की रक्षा करने और उसे दुनिया के साथ साझा करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया है, पवित्र स्थलों में सुधार किया गया है और पुरानी परंपराओं को फिर से जीवित किया गया है। साथ ही, नई सड़कें, साफ-सुथरी सुविधाएं और बेहतर सेवाओं ने लोगों के लिए इन स्थानों पर जाना आसान बना दिया है। भारत हर क्षेत्र और पृष्ठभूमि के अपने नायकों का भी जश्न मना रहा है। त्योहारों और योग से लेकर संगीत और कला तक, हमारी संस्कृति को अब कई देशों में देखा और सम्मान दिया जा रहा है। दुनिया भर के लोग भारत की जीवनशैली में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। आज भारत की समृद्ध संस्कृति न केवल देश में चमचमा रही है, बल्कि दुनिया भर में आलोकित हो रही है।
Source: PIB DELHI