मुंबई 27 दिसम्बर। रमेश परमार की उम्र 25 साल थी। वह शिवसेना शासित बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का सफाई कर्मचारी था। उसने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। वजह, उसे दो साल से सैलरी नहीं मिली थी। परिजनों के अनुसार इसके कारण वह कर्ज में डूबा था। ज्यादातर रात भूखे सो जाता था। आत्महत्या का मामला गरमाने के बाद बीएमसी ने रमेश के भाई को नौकरी और 1 लाख रुपए का मुआवजा दिया है।मीडिया के अनुसार रमेश के चाचा पितांबर परमार ने बताया, “रमेश का एक छोटा भाई है, जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उस पर ही थी। उसे पिछले दो साल से वेतन का भुगतान नहीं किया गया था। ज्यादातर वह रात को बिना कुछ खाए ही सो जाता था। उसने खाने के लिए भीख माँगी। रमेश पर कर्ज भी था और उसकी तबीयत खराब थी। अधिकारियों ने उसे बताया कि उसकी सर्विस फाइल कहीं फँस गई थी। गुरुवार (23 दिसंबर 2021) को वार्ड कार्यालय में ही उसने जहर खा लिया। हमने शुक्रवार सुबह उसका अंतिम संस्कार किया। हम उसकी मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग करते हैं।”
बीजेपी कॉरपोरेटर ने की 50 लाख मुआवजे की माँग
बीजेपी कॉरपोरेटर विनोद मिश्रा ने इस आत्महत्या पर सवाल उठाते हुए बीएमसी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर और मृतक के परिवार के लिए 50 लाख के मुआवजे की माँग की। स्थायी समिति ने शुक्रवार को मृतक सफाईकर्मी के भाई को नौकरी देने की मँजूरी दे दी। इसके बाद बीजेपी कॉरपोरेटर ने कहा, “बीएमसी ने रमेश के भाई को नौकरी दे दी। लेकिन इससे बीएमसी रमेश की मौत की जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है।” रमेश दो साल से अपने वेतन के भुगतान का इंतजार कर रहा था। जब उसको कोई वेतन की कोई उम्मीद नहीं दिखी तो उसने निराश होकर मौत को गले लगा लिया। रमेश के पिता भी बीएमसी में सफाई कर्मचारी थे। 2019 में पिता की मृत्यु के बाद उसे नौकरी दी गई थी। जब भी वह वेतन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के पास जाता था तो उससे यही कहा जाता था कि उसकी सर्विस फाइल नहीं मिली है। बताया जाता है कि रमेश 20 दिसंबर को एक अधिकारी के पास अपनी फाइल लेकर पहुँचा और कहा कि 2 साल से उसके वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। अधिकारी ने उसकी कोई मदद न कर उसे सफाई में गड़बड़ी के लिए फटकार लगाई। इसके बाद उसने उम्मीद खो दी और सुसाइड कर लिया।
बीएमसी ने 3 अधिकारियों को किया निलंबित
फिलहाल बीएमसी के शुरुआती जाँच में पता चला है कि अधिकारियों की ओर से लापरवाही की गई थी, जिसके बाद एसडब्लूएम विभाग के पी साउथ वार्ड से प्रशासनिक अधिकारी अनीता नाइक, मुख्य लेखपाल समीरा मांजरेकर और लेखपाल पंकज खिलारे को निलंबित कर दिया गया है। बीएमसी का कहना है कि उन्होंने लापरवाही के लिए 3 अधिकारियों को निलंबित किया है। रमेश के परिवार को सहायता के रूप में उसके भाई को 1 लाख रुपए दिए हैं। अधिमान्य उपचार अधिनियम के तहत भाई को रोजगार दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने रमेश के बकाया वेतन भी जल्द देने की बात कही है। इसका भुगतान उसके भाई को किया जाएगा।
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