दिन प्रति दिन तापमान बढ़ने के साथ ही शहर के स्वीमिंग पूल भी गुलजार होने लगे हैं। गर्मी से राहत के साथ ही बच्चे तैराकी भी सीख रहे हैं, लेकिन खेल विभाग के स्वीमिंग पूल के लिए विभाग को कोच ही नहीं मिल रहे हैं।इससे खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं।
इतना ही नहीं रखरखाव के अभाव से पूल की स्थिति और सुरक्षा उपकरण भी खराब होने लगे हैं। साथ ही पूल के आसपास गंदगी का भी अंबार लगने से खिलाड़ियों को बीमारी का डर सता रहा है। पवेलियन मैदान में बने स्वीमिंग पूल के लिए विभाग को कोच नहीं मिल पा रहे हैं। इसके चलते इस सीजन अभी तक पूल का इस्तेमाल ही नहीं हुआ।
खिलाड़ी भी पूल को खुलवाने की मांग कर रहे
उधर, खिलाड़ी भी पूल को खुलवाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोच न मिलने की वजह से खिलाड़ियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। इस पूल में खिलाड़ियों के लिए सुबह और शाम तीन-तीन कक्षाएं संचालित की जाती थीं। विभाग के नियमों के अनुसार कोच के पास उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है।
कुछ कोच विभाग के पास आए भी तो उनके पास स्थायी निवास न होने की वजह से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। इसके अलावा सितंबर के बाद पूल को बंद कर दिया जाता है तो कुछ महीनों के लिए कोच आने से बच रहे हैं।
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निजी स्वीमिंग पूल संचालकों की चांदी: शहर में बीते कुछ सालों में निजी स्वीमिंग पूल की संख्या में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही यहां आने वालों की संख्या भी बढ़ी है। किराये की बात करें तो यहां एक घंटे के लिए 150 से 250 रुपये तक चुकाने पड़ते हैं।