नई दिल्ली 12 दिसम्बर। सऊदी अरब ने तब्लीगी जमात को आतंकवाद के द्वारों में से एक बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया है। सऊदी इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को शुक्रवार के धर्मोपदेश के दौरान लोगों को तब्लीगी जमात साथ जुड़ने के खिलाफ चेतावनी देने का निर्देश दिया। देश के इस्लामी मामलों के मंत्री ने सोशल मीडिया पर सुन्नी इस्लामी संगठन को आतंकवाद के द्वारों में से एक बताते हुए इस पर बैन का ऐलान किया और कहा कि तब्लीगी जमात समाज के लिए खतरा है। सिलसिलेवार ट्वीट्स में मंत्रालय ने कहा, ‘डॉ अब्दुल्लातिफ अल-अलशेख मस्जिदों और उन मस्जिदों के प्रचारक जिसमें शुक्रवार की नमाज अस्थायी रूप से होती है। उन्हें अगले शुक्रवार के धर्मोपदेश को 6/5/1443 एएच को (तब्लीगी और दावा समूह) के खिलाफ चेतावनी देने के लिए कहा गया है।’ इसके अलावा, मंत्रालय ने निर्देश दिया कि धर्मोपदेश में निम्नलिखित विषय शामिल किए गए हैं। इन विषयों के बारे में लोगों को बताना है:-
- इस समूह का भटकाव, झुकाव एवं खतरा और ये आतंकवाद के द्वारों में से एक है।भले ही ये ऐसा नहीं होने के दावे करता हो।
- तब्लीगी जमात की सबसे प्रमुख गलतियों का उल्लेख कीजिए।
- उल्लेख करें कि तब्लीगी जमात समाज के लिए खतरा हैं।
- एक बयान दिया जाए कि सऊदी अरब में (तब्लीगी और दावा समूह) सहित पक्षपातपूर्ण समूहों के साथ जुड़ाव बैन है। तब्लीगी जमात का मतलब ‘विश्वास फैलाने के लिए समाज’ है। इसकी स्थापना 1926 में भारत में की गई थी। ये मुसलमानों को धार्मिक रूप से रहने के तरीके को बताता है। खासतौर पर ड्रेसिंग, व्यक्तिगत व्यवहार और अनुष्ठानों के संबंध में. तब्लीगी जमात के दुनियाभर में 40 करोड़ सदस्य होने का अनुमान है। पिछले साल कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत होने पर देशभर में इस संगठन की खासा चर्चा हुई थी। इस दौरान जमात पर कथित रूप से कोरोना फैलाने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, तब्लीगी जमात पर आरोप लगाया गया था कि इसने बिना अनुमति के बड़ी संख्या में लोगों को दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मरकज में इकट्ठा किया। बड़ी संख्या में संगठन के लोग मरकज में इकट्ठा हुआ थे, जिसमें से कई विदेशी भी थे। कोरोना के बीच इस तरह से भीड़ इकट्ठा होने से डर का माहौल पैदा हो गया था।
नवीन चन्द्र पोखरियाल रामनगर,
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